बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर शुरू हुआ छात्र आंदोलन आखिरकार तख्तापलट के साथ मंद पड़ा. फिलहाल शेख हसीना का लंदन में रहना तय नहीं हुआ है, तब तक वो भारत में रहेंगी. इधर, बांग्लादेश संकट पर भारत में भी हलचल तेज है.
केंद्र सरकार ने मंगलवार की सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले संसद में सर्वदलीय बैठक की, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मौजूदा हालात और सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी दी. विदेशी साजिश से जुड़े राहुल गांधी के सवाल पर सरकार ने आश्वस्त किया है कि इस बिंदु पर भी जांच की जा रही है.
‘भारतीय समुदाय के प्रति भारत सरकार की चिंता’
विदेश मंत्री के अनुसार बांग्लादेश में अभी भी अस्थिर हालात हैं. वहां हालात स्थिर होने पर हम सामान्य कामकाज की उम्मीद करते हैं. उन्होंने कहा, ‘हम राजनयिक मिशनों के माध्यम से बांग्लादेश में भारतीय समुदाय के साथ निरंतर संपर्क में हैं.’
- उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में एक अनुमान के अनुसार 19,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें 9,000 छात्र हैं. भारतीय उच्चायोग के परामर्श पर अधिकतर छात्र भारत लौट चुके हैं.
- ढाका में भारतीय उच्चायोग के अलावा चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट में सहायक उच्चायोग हैं.
- जयशंकर ने कहा, ‘वहां की सरकार से हमारी अपेक्षा है कि इन राजनयिक मिशनों को आवश्यक सुरक्षा दी जाए.’
- उन्होंने कहा, ‘हम अल्पसंख्यकों की स्थिति पर नजर रख रहे हैं. खबरें हैं कि विभिन्न संगठनों और समूहों ने उनकी सुरक्षा को लेकर कदम उठाए हैं. हम उनका स्वागत करते हैं.
- उन्होंने कहा, ‘हम स्वाभाविक रूप से वहां कानून व्यवस्था की स्थिति बहाल होने तक चिंतित रहेंगे.’
विदेश मंत्री ने कहा कि इस जटिल स्थिति के मद्देनजर सीमा पर सुरक्षा के लिए जिम्मेदार बलों को भी अत्यंत सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ढाका के अधिकारियों से पूरी तरह संपर्क में है.
अल्पसंख्यकों पर हमले चिंताजनक: एस जयशंकर
लोकसभा में विदेश मंत्री ने बयान में कहा कि 4 अगस्त को पुलिस थानों में पुलिस पर, सरकारी भवनों पर हमले बढ़ गए और देशभर में सरकार से जुड़े लोगों की संपत्तियों पर हमले होने लगे. उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश में कई स्थानों पर अल्पसंख्यकों के कारोबारों और मंदिरों पर हमले विशेष रूप से चिंताजनक हैं.
जयशंकर ने कहा कि 5 अगस्त को कर्फ्यू के बाद भी ढाका में प्रदर्शनकारी जमा हुए. उन्होंने कहा, ‘हमें लगता है कि सुरक्षा प्रतिष्ठानों के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा देने का फैसला किया. उन्होंने बहुत कम समय में कल कुछ वक्त के लिए भारत आने की अनुमति मांगी थी और वो कल शाम यहां पहुंचीं.